संपादकीय

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दर्द : चुनाव पर ही हमे पूछा जाता है.….और घोड़ों की तरह मैदान में दौड़ा दिया जाता है….अपना काम तो दूर किसी जरूरतमंद का काम भी नहीं करा पाते…

संपादकीय, 10 नवंबर। कांग्रेस का सदस्यता अभियान चल रहा है। जिला पदाधिकारियों पर जिम्मेदारी है कि प्रदेश में तय किये गये लक्ष्य के अनुरूप 10 लाख सदस्य बनाने के लिये अपना जोर लगायें। इसके चलते कार्यकर्ताओं की एक बार फिर पूछ-परख बढ़ी है, बैठकें ले जा रही है। मरवाही उप-चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड तोड़ जीत के मुकाम तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ता दुखी और नाराज हैं। यह नाराजगी वही है जो हर जगह कांग्रेस की बैठकों से निकलकर आ रही है।

कार्यकर्ताओं से जब कहा गया कि ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने के लिये जुट जायें तो साफ पूछा गया कि किस मुंह से जायें? अधिकारी निरंकुश हो गये हैं। कार्यकर्ताओं का काम करना तो दूर वे बात करना भी पसंद नहीं करते। अपना काम तो छोडिय़े किसी फरियादी, जरूरतमंद का भी काम नहीं करा पाते। चुनाव आने पर ही हमें पूछा जाता है और घोड़े की तरह मैदान में दौड़ा दिया जाता है।

अब सदस्यता के लिये दौडऩे कहा जा रहा है। कृषि, बिजली, राजस्व, शिक्षा विभाग में समस्याओं, शिकायतों की अर्जियां धूल खा रही हैं। काम होंगे नहीं तो कैसे किसी से कहें कि सदस्य बनो।

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