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जानिए आखिर इस जिले के छात्रो ने क्यों किया उग्र आन्दोलन ?

छात्रों का आन्दोलन.

सुकमा,14 जुलाई | छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर कालेज के छात्र-छात्राओं ने सोमवार को कलेक्टोरेट कार्यालय का घेराव किया. विद्यार्थियों ने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार शिकायतों के बावजूद उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है.

धरना स्थल पर कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़े विद्यार्थियों ने इस बीच कई बार प्रशासन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

अंतत: कलेक्टर देवेश कुमार मौके पर पहुंचे और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे. उसके बाद धरना प्रदर्शन बंद किया गया.

 

अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर छात्र-छात्राओं ने करीब तीन घंटे तक प्रदर्शन किया.

उग्र प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा एहतियातन तौर पर कलेक्टोरेट परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनात किया था.

प्रदर्शनकारी छात्रों की प्रमुख मांगों में छात्रावासों में सीटों की संख्या बढ़ाना, मेस की राशि जारी करना, छात्रावास के लिए स्थायी भवन व शौचालय व स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता आदि शामिल हैं.

इस मामले में सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि प्री-मैट्रिक व पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में सीट वृद्धि की मांग आई थी. शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजा गया है, जैसे ही बजट उपलब्ध होगा सीट वृद्धि की कार्रवाई की जाएगी.

छात्रों का कहना है कि छात्रावासों की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. कई वर्षों से प्रशासन को इन समस्याओं के बारे में ज्ञापन दे रहे हैं. हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिखता. छात्रावासों में सीट की वृद्धि सालों से नहीं की गई है. इसके चलते छात्रावासों में अतिरिक्त छात्र-छत्राएं रह रहे हैं.

छात्रों ने बताया कि हर साल सैकड़ों की संख्या में आदिवासी युवक-युवतियां 12वीं पास कर कॉलेज में एडमिशन ले रहे हैं. नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से अंदरूनी इलाकों से आदिवासी बच्चे जिला मुख्यालय में रहकर पढ़ते हैं. आवासीय सुविधा नहीं होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

विद्यार्थियों ने कहा कि पहले से ही सीट भरे होने की वजह से नए छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है,जिसके चलते छात्र अपने पसंदीदा कॉलेजों में पढ़ने से वंचित हो रहे हैं.

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