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“दिया तले अंधेरा”सुना ही था, लेकिन यातायात विभाग ने इस कहावत को सही साबित कर दिया.

By नरेश देवांगन

जगदलपुर, 28 मार्च। नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे मूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है.

शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशा लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इस पर रोक लगाने के लिए बस्तर पुलिस लगातार कार्यवाही कर लोगो को समझाईस भी दे रही है लेकिन, बस्तर पुलिस की इस कार्यवाही से कही ना कही नशेड़ियों पे एक खौफ बना हुआ है की शहर पे कही बैठ कर नशा करना मतलब पुलिस के पकड़ मे आना.

यातायत विभाग के पीछे का नजारा

इस डर से कही ना कही नशे का कारोबार कम होता दिख रहा है लेकिन एक तस्वीर यातायात विभाग व कोतवाली परिसर के पीछे की है जो चौकाने वाली है, तस्वीर यह है की थाने के पीछे सैकड़ो शराब की बोतले, डिस्पोजल ग्लास, सिगरेट के खाली पैकेट, पानी की खाली बोतल, चकने के रूप मे मिक्चर के पैकेट के कचरे पूरी तरह से फैले हुए है ओर ऐ बता रहे है की यहाँ पर शराब खोरी होती है अब सवाल यह है की यहाँ शराब कौन पिता है ?

यहाँ के कर्मचारी या बाहर से शराबी यहाँ आ कर नशा कर चले जाते है, इस सवाल का जवाब तो जिम्मेदार अधिकारी दे पाएंगे सवाल इस लिए क्यूंकि थाने मे एक आम आदमी आ कर शराब पी कर चले जाये ऐ संभव नहीं है वही अगर स्टाप के द्वारा ऐ सब किया जा रहा है तो क्या जिनके ऊपर थाने की जवाबदारी है क्या वे थाने का निरिक्षण नहीं करते?

जब इस विषय पर हमने नगर पुलिस अधिक्षक से सम्पर्क की तो उनका कहना है कि ठीक है मैं दिखवाता हूं।

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