अन्तर्राष्ट्रीय

रूस ने युक्रेन के सामने रखी ये चार शर्तें, कहा – मान लो तो युद्ध तुरंत खत्म.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए (Russia Ukraine War) 12 दिन बीत चुके हैं. ये युद्ध अभी तक किसी निर्णायक मोड़ तक नहीं पहुंचा है, लेकिन दोनों देशों को जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. इसी बीच खबर मिली है कि रूस ने यूक्रेन के सामने युद्ध रोकने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. आजतक के मुताबिक यूक्रेनी मीडिया ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन के सामने 4 शर्तें रखी हैं और कहा है कि अगर यूक्रेन इन शर्तों को मान लेता है तो रूस तुरंत अपनी ‘सैन्य कार्रवाई’ रोक देगा. आइये आपको बताते हैं कि क्या हैं ये 4 शर्तें.

1. यूक्रेन अपनी सैन्य कार्रवाई बंद करे

रूस की सरकार ने अपनी पहली शर्त में कहा है कि यूक्रेन तुरंत अपनी सैन्य कार्रवाई बंद करे. रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के एक प्रवक्ता ने कहा,

“हम यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई रोक देंगे लेकिन उसके लिए यूक्रेन की सेना को रूस के खिलाफ अपनी कार्रवाई बंद करनी होगी. वो ऐसा करते हैं तो हम किसी पर भी गोली नहीं चलाएंगे.”

2. संविधान में बदलाव हो

यूक्रेन के किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन में शामिल होने से रूस हमेशा से ही नाराजगी जताता रहा है. इस बार भी यही मुद्दा है. यूक्रेन पहले NATO और अब EU में शामिल होना चाहता है, इसलिए रूस ने यूक्रेन पर धावा बोला है. रूस चाहता है कि यूक्रेन तटस्थ बने रहने के लिए अपने संविधान में बदलाव करे. इस पर क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा,

“यूक्रेन की सरकार को अपने संविधान में संशोधन करना चाहिए जिसके अनुसार यूक्रेन किसी भी संगठन में शामिल नहीं हो सकता.”

3. क्रीमिया होगा रूस का हिस्सा

रूस ने यूक्रेन के सामने तीसरी शर्त ये रखी है कि यूक्रेन क्रीमिया (Crimea) को रूसी हिस्से के रूप में मान्यता दे. क्रीमिया कभी रूस का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव (Nikita Khrushchev) ने इसे यूक्रेन को तोहफे में दे दिया था. मार्च 2014 में रूस ने हमला कर क्रीमिया को वापस रूस में मिला लिया था, लेकिन यूक्रेन इसे मान्यता नहीं देता है. रूस का कहना है कि यूक्रेन अगर युद्ध खात्म करना चाहता है तो उसे क्रीमिया को रूस के हिस्से के तौर पर मान्यता देनी होगी.

4. डोनेत्स्क-लुहांस्क होंगे स्वतंत्र देश

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाले डोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Lugansk) इलाकों को 2014 में अलगाववादियों ने स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था. यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने से पहले ही 15 फरवरी को रूसी संसद ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के इन इलाकों को अलग देश की मान्यता देने का प्रस्ताव भेजा था, जिस पर 21 फरवरी को व्लादिमीर पुतिन ने साइन कर दिए. रूस की आखिरी शर्त यही है कि यूक्रेन डोनेत्स्क-लुहांस्क को स्वतंत्र देश के रूप में मंजूरी दे, तो रूस तुरंत सैन्य अभियान को तुरंत रोक देगा.

रूस और यूक्रेन के बीच का ये युद्ध अब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी पहुंच चुका है. यूक्रेन ने मानवीय संहार के आधार पर रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का दरवाजा खटखटाया है. वहीं रूस ने ICJ की कार्यवाही से खुद को अलग रखने का फैसला लिया है. और ये ऐलान भी किया है कि कोर्ट की कार्यवाही में उनका कोई प्रतिनिधि हिस्सा नहीं लेगा. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 24 फरवरी से चल रही इस जंग में यूक्रेन के 406 आम नागरिक मारे जा चुके हैं और 801 घायल हुए हैं. वहीं 17 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर जा चुके हैं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है.

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