अन्तर्राष्ट्रीय

पुतिन का भरोसेमंद वैगनर ग्रुप क्या है? जिसे इस बार युक्रेन के राष्ट्रपति की हत्या का जिम्मा मिला है ?

यूनाइटेड किंगडम (यूके) के एक अखबार द टाइम्स ने सोमवार, 28 फरवरी को अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskiy) की हत्या करने के लिए रूस ने 400 से अधिक विशेष लड़ाके भेजे हैं. ये लड़ाके वैगनर मिलिट्री ग्रुप (Wagner Group) के बताए जा रहे हैं. यह ग्रुप पिछले कई सालों से अपने सैन्य और खुफिया ऑपरेशन्स को लेकर विवादों में रहा है और इस पर मानवाधिकार उल्लंघन के कई आरोप भी लगे हैं.

क्या है वैगनर मिलिट्री ग्रुप?

वैगनर एक प्राइवेट मिलिट्री (नागरिक सेना) ग्रुप है, जो कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी सहयोगियों द्वारा चलाया जाता है. यह ग्रुप रूसी सरकार का एक अंग बनकर काम करता है और आपात स्थिति में पुतिन के आदेश पर अपनी भूमिका निभाता है. द टाइम्स के मुताबिक इस बार इसमें अफ्रीका के कुछ लड़ाके हायर किए गए हैं, जिन्हें जेलेंस्की की हत्या कर कीव पर रूस का कब्जा करवाने का जिम्मा दिया गया है. इसके लिए उन्हें काफी मोटी रकम दी गई है.

वैगनर ग्रुप पर आरोप है कि यह दुनिया भर में रूसी सरकार के अभियानों में खुफिया तरीके से यानी गुप्त रूप से लड़ाई लड़ता है. ब्लूमबर्ग की साल 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस ग्रुप में करीब 6,000 लड़ाके हैं. इन की मौजूदगी यूरोप से लेकर लीबिया, सीरिया, मोजाम्बिक, माली, सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य तक मानी जाती है. यह भी कहा जाता है कि लीबिया में इस समय चल रहे गृहयुद्ध में इनकी भूमिका है. इससे पहले अक्टूबर 2015 से लेकर 2018 तक वैगनर ग्रुप ने सीरिया में रूसी सेना और बशर-अल-असद की सरकार के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी. द वीक के मुताबिक उस समय वैगनर के 500 लड़ाकों ने चार घंटे लंबी चली एक लड़ाई में अमेरिकी कमांडो को पीछे धकेल दिया था. साल 2014 में क्रीमिया और डोनबास में हुए संघर्ष में भी यह सक्रिय रहा था, तब इस ग्रुप ने कई यूक्रेनियन लोगों को मार गिराया था.

कौन चलाता है वैगनर ग्रुप?

ऐसा माना जाता है कि रूस की मुख्य खुफिया एजेंसी (जीआरयू) में काम करने वाले पूर्व रूसी लेफ्टिनेंट दिमित्री उत्किन इस ग्रुप के संस्थापक हैं. हालांकि, द वीक की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा भी माना जाता है कि वैगनर ग्रुप का नेतृत्व येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeniy Prigozhin) करते हैं. प्रिगोझिन एक जाने-माने रूसी फाइनेंसर हैं और उन्हें ‘पुतिन के शेफ’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उनका होटल और रेस्टोरेंट का बड़ा बिजनेस है. फरवरी 2021 में येवगेनी का नाम एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में जोड़ा गया. तब उन पर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव और वहां की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश के आरोप लगे थे. अमेरिका ने येवगेनी की गिरफ्तारी में मदद करने वाले को 2,50,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा भी की थी.

यूरोप में प्रतिबंध?

यूरोपीय संघ ने पिछले साल तीन दिसंबर को इस ग्रुप पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि इस प्राइवेट रूसी मिलिट्री ने मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूक्रेन में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है. इस एजेंसी ने कई तरह की हिंसा की और कई अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ा है. यूरोपीय संघ ने ये आरोप भी लगाया कि वैगनर ग्रुप प्राकृतिक संसाधनों को लूटने और हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में नागरिकों को डराने और धमकाने का काम करता है.

कौन लोग काम करते हैं किसी को नहीं पता

इस ग्रुप की कार्यप्रणाली इतनी गोपनीय रहती है कि कई बार यह भी सवाल उठता है कि क्या वाकई में यह ग्रुप एग्जिस्ट भी करता है या नहीं. कहा जाता है कि इस ग्रुप में कौन लोग काम करते हैं, कैसे काम करते हैं, इसकी जानकारी इस ग्रुप के अलावा किसी के पास भी उपलब्ध नहीं है.

अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रेटगिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (सीएसआईएस) के मुताबिक वैगनर ग्रुप पेपर पर तो एक प्राइवेट संस्था है, लेकिन इसका मैनेजमेंट और ऑपरेशन पूरी तरह से रूसी मिलिट्री और इंटेलीजेंस से जुड़े हुए हैं.

सितंबर 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में सीएसआईएस ने कहा है कि शीत युद्ध के बाद से शक्तिशाली देशों में प्राइवेंट सिक्योरिटी कंपनीज और प्राइवेट मिलिट्री कंपनीज की मांग में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि ये काफी सस्ते होते हैं और रेगुलर मिलिट्री की तुलना में ज्यादा कुशलता पूर्वक कार्य करते हैं. इस तरह इनके कार्य करने की एक बड़ी वजह यह होती है कि इन्हें इनके कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है.

अमेरिकी सरकार भी इस तरह के ग्रुप का इस्तेमाल करती है, जैसे कि प्राइवेट मिलिट्री फर्म ब्लैक वॉटर, जिसे अब ACADEMI के नाम से जाना जाता है. सितंबर 2007 में, इराक युद्ध के दौरान अमेरिकी सरकार के निर्देश पर ब्लैक वॉटर लड़ाकों ने कथित तौर पर इराकी नागरिकों पर गोली चलाई थी, जिसमें 17 लोग मारे गए थे. इस मामले में इसके चार लड़ाके दोषी पाए गए थे और इन्हें सजा भी हुई, लेकिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें दिसंबर 2020 में मांफी दे दी.

जून 2021 में संयुक्त राष्ट्र ने भी वैगनर ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में वैगनर ग्रुप पर हत्या, लूटपाट और अफ्रीका क्षेत्र में लोगों को गायब करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!