जगदलपुर

प्रदर्शनी में दिखी विकास कार्यों और शासन द्वारा संचालित योजनाओं की झलक

जगदलपुर,1 नवम्बर। जगदलपुर के समीप ग्राम आसना में निर्मित बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लैंग्वेज (बादल एकेडमी) में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम पारम्परिक लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सराबोर रही। यहां विभिन्न नर्तक दलों और स्कूली विद्यार्थियों द्वारा छत्तीसगढ़ी लोक नृत्यों के साथ ही बस्तर की गोंडी, हल्बी, धुरवा सहित विभिन्न जनजातियों के आकर्षक लोक नृत्य प्रस्तुत किये गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष  लखेश्वर बघेल ने किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अलग छत्तीसगढ़ बनने के कारण अंचल में तेज हुई विकास की गति आसानी से दिखाई दे रही है। अंचल में अधोसंरचनाओं के विकास के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार सहित विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में अब शहरों के साथ ही गांवों में भी विकास कार्यों की गति में तेजी आई है। छत्तीसगढ़ राज्य के 22वें बर्ष में प्रवेश के साथ ही विकास कार्यों की यह गति और अधिक बढ़ने की आशा उन्होंने व्यक्त की। इस अवसर पर जगदलपुर महापौर श्रीमती सफीरा साहू, जगदलपुर नगर निगम की अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू, कलेक्टर रजत बंसल ने भी संबोधित किया।

विकास कार्यों की प्रदर्शनी में जल संसाधन विभाग को पहला पुरस्कार

राज्योत्सव के अवसर पर यहां शासकीय विभागों द्वारा विकास कार्यक्रमों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के साथ ही इनका अवलोकन भी किया गया। जल संसाधन विभाग को प्रदर्शनी के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया। विभाग द्वारा कोसारटेडा मध्यम जल सिंचाई परियोजना पर आधारित मॉडल का प्रदर्शन किया गया था। शिक्षा विभाग की प्रदर्शनी को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। इनके स्टॉल में स्कूली बच्चों द्वारा बनाये गए विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए गए थे। इनमें वाहन दुर्घटना से बचाव के लिए बनाया गया यंत्र, वातावरण में कॉर्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता होने पर बचाव का यंत्र, वोल्टेज कन्वर्टर, उर्जारहित ड्रिप सिंचाई सहित विभिन्न मॉडल आकर्षण का केंद्र रहे। उद्यानिकी विभाग के स्टॉल में जिले के प्रगतिशील किसानों द्वारा उत्पादित विभिन्न फसलों का प्रदर्शन किया गया था। इस स्टॉल में लगभग 700 ग्राम के सीताफल सहित ड्रेगन फ्रूट ने भी बहुत अधिक आकर्षित किया।

अतिथियों ने हाट में लिया पारम्परिक व्यंजनों का स्वाद

बादल एकेडमी परिसर में बनी झोपड़ियों में इस अवसर पर जनजातीय समुदायों द्वारा हाट का आयोजन किया गया था। अलग -अलग टोलियों में आयोजित हाटों में समुदाय में प्रचलित व्यंजन भी पकाये जा रहे थे। यहां मुख्य अतिथि सहित अन्य अथितियों ने इन हाटों के भ्रमण के दौरान इन व्यंजनों का स्वाद लिया। इस अवसर पर मुंडा बाजा, गौर नृत्य, धुरवा नृत्य सहित विभिन्न आदिवासी लोकनृत्यों के साथ स्वागत किया गया।

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