छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ : कवर्धा में किस बात पर ऐसी हिंसा हुई की इंटरनेट बंद करना पड़ गया?

कवर्धा,7 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कवर्धा (Kawardha) कस्बा. बीते कुछ दिनों से यहां के हालात काफी तनावपूर्ण हैं. रविवार 3 अक्टूबर की शाम से यहां कर्फ्यू लगा है. यानी धारा 144. वजह है एक सड़क के किनारे पोल पर लगा “धार्मिक” झंडा. जिसे हटाने को लेकर दो समुदायों के बीच पहले बहस हुई और फिर हिंसा भड़क गई. इसमें तीन पुलिसकर्मियों समेत करीब एक दर्जन लोग चोटिल हुए हैं. घटना की वजह से आसपास के तीन ज़िलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.

पुलिस ने किया फ्लैग मार्च

आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक़ भारी उपद्रव और तोड़फोड़ के बाद पुलिस ने कवर्धा को छावनी में तब्दील कर दिया है. हज़ारों की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. इलाके में फ्लैग मार्च भी किया गया है. इस घटना के वीडियो फ़ुटेज के ज़रिए उपद्रव में शामिल करीब 70 लोगों की पहचान पुलिस ने की है. वो ये भी दावा कर रही है कि इनमें से करीब 58 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. एहतियात के तौर पर फ़िलहाल कवर्धा में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. कवर्धा, बेमेतरा और राजनंदनगांव ज़िले में इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया है.

क्या है मामला?

आजतक के रिपोर्टर सतीश और रविश पाल सिंह के मुताबिक़ रविवार 3 अक्टूबर को कवर्धा के लोहारा नाका चौक पर कुछ युवकों ने एक “धार्मिक” झंडा लगा दिया था. इसे लेकर दुर्गेश नाम के एक युवक की पिटाई भी कर दी गई थी. बाद में मामला दो गुटों की झड़प में तब्दील हो गया जिसने हिंसक रूप ले लिया. दोनों गुटों की तरफ से जमकर पत्थरबाज़ी हुई.

वहीं, हालात पर क़ाबू पाने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लगा दी. लेकिन लोगों का ग़ुस्सा शांत नहीं हुआ. मंगलवार 5 अक्टूबर को एक संगठन ने कवर्धा बंद का ऐलान किया. उसने घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने के लिए रैली निकाली. इंडिया टुडे से ही जुड़े रमेश तंबोली की रिपोर्ट के मुताबिक, रैली में बीजेपी सांसद सतीश पांडे ने भी शिरकत की थी. बाद में इसी प्रदर्शन में हिंसा हो गई. भीड़ ने दूसरे पक्ष के लोगों पर जमकर पथराव किया. कुछ जगहों पर तोड़फोड़ भी की गई. स्थिति पर क़ाबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, आंसू गैस के गोले भी छोड़े.

पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स से कहा,

“मंगलवार को एक दक्षिणपंथी संगठन ने एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था. प्रदर्शनकारी दूसरे समुदाय वाले बहुल इलाक़े में गए और वहां हिंसक हो गए. हालात पर क़ाबू पाने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. कुछ पुलिसकर्मियों सहित कुछ लोगों को मामूली चोटें आईं, लेकिन उनकी हालत स्थिर है.”

बताते चलें कि बीजेपी नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कवर्धा के ही रहने वाले हैं. छत्तीसगढ़ के तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर भी इसी जिले से हैं. रमन सिंह ने इस घटना के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा,

“दो समुदायों के बीच एक मामूली मामले को हल करने में प्रशासन और पुलिस नाकाम रही, जिस वजह से हिंसा और झड़प हुई. प्रशासन विफल रहा. लेकिन अब शहर शांत है. जो भी हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था.”

इस बीच खबर है कि बीजेपी नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार 6 अक्टूबर को कवर्धा पहुंचा और हिंसा में घायल पार्टी कार्यकर्ताओं का हाल जाना. छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक के नेतृत्व में इस डेलीगेशन ने इलाके का दौरा भी किया.

Source : lallatop

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