मोदी के चेहरे पर छत्तीसगढ़ में चुनाव?
राजनीति,10 मई। सन् 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी एक चेहरे को सामने नहीं किया था। कांग्रेस में आई दरार और तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कामकाज को आधार बनाकर उसने चुनाव लड़ा। उस समय पार्टी में रमेश बैस, नंदकुमार साय, दिलीप सिंह जूदेव और डॉ. रमन सिंह के बीच फैसला होना था। दिल्ली से शीर्ष नेताओं का फैसला आया और डॉ. रमन सिंह सर्वसम्मति से नेता चुने गए। 2008 के चुनाव में डॉ. सिंह का नाम स्वमेव मुख्यमंत्री के लिए तय कर लिया गया।
2013 और 2018 में भी यही हुआ। 2018 तक केंद्र में सरकार बदल चुकी थी और नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके थे। पर छत्तीसगढ़ में चेहरा डॉ. रमन सिंह ही रहे। जिस बुरी तरह से कांग्रेस ने 2018 में भाजपा को शिकस्त दी, उसने भाजपा को अब तक सोच में डाल रखा है। प्रदेश भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने कल फिर एक बार मुख्यमंत्री के चेहरे पर किए गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने दुर्ग में कहा कि केंद्रीय नेतृत्व करेगा कौन चेहरा होगा। इसके पहले जगदलपुर में वे कह चुकी हैं कि किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा।
इधर बिहार के मंत्री जो प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी हैं, उन्होंने बिलासपुर में कहा कि छत्तीसगढ़ का चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। लगता है कि प्रभारी की जगह, सह प्रभारी की बात ही सच्चाई के ज्यादा निकट है। भाजपा में नए चेहरे को घोषित करना ठीक उसी तरह कठिन है जिस तरह 2018 में कांग्रेस के लिए था।